भूतिया मेडिकल स्टोर

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यह कहानी एक भूतिया मेडिकल स्टोर की है — कई साल पहले शहर के बीचों-बीच एक मेडिकल स्टोर खुला था। दिन में तो दुकान बिलकुल सामान्य लगती थी, लेकिन जैसे ही रात होती, वहाँ अजीब-अजीब घटनाएँ घटने लगतीं। लोगों का कहना था कि इस दुकान के मालिक की अचानक एक रात मौत हो गई थी। वो अकेले दुकान बंद कर रहा था, तभी उसका हार्ट अटैक से निधन हो गया। कहते हैं कि उसकी आत्मा आज भी वहीं भटकती है, क्योंकि दुकान उसके जीवन का सबसे बड़ा सपना थी। रात में राहगीरों ने कई बार देखा कि मेडिकल स्टोर की लाइट अपने आप जल उठती है। शटर आधा खुला दिखाई देता है और अंदर से दवाइयों की शीशियों के खड़कने की आवाजें आती हैं। कभी-कभी कैश काउंटर अपने आप खुल-बंद होता। एक रात एक युवक, जो देर रात घर लौट रहा था, उसने देखा कि दुकान का शटर थोड़ा खुला है और अंदर से किसी के "मदद करो..." जैसी धीमी आवाज आ रही है। डर के बावजूद उसने अंदर झाँका। उसने देखा कि दुकान के अंदर सफेद कोट पहने एक बूढ़ा आदमी दवाइयाँ सजाते हुए दिखाई दिया। लेकिन जब उसने ज़ोर से " कौन है?" कहा , तो वो आकृति अचानक हवा में विलीन हो गई। उसके...

भूतिया बस की कहानी

भूतिया बस



ये कहानी उत्तर भारत के एक छोटे से पहाड़ी कस्बे की है, जहाँ हर रात एक आखिरी बस चलती थी — रात के 12 बजे। बस नंबर 13, जो कि कस्बे से शहर तक जाती थी। लोग कहते थे कि ये बस कभी-कभी रास्ते में गायब हो जाती है और फिर दो-तीन दिन बाद अचानक किसी सुनसान जगह पर खड़ी मिलती है, बिना ड्राइवर और कंडक्टर के।
 

शुरुआत

एक रात, एक नवयुवक राहुल देर से काम से लौट रहा था। स्टेशन पर पहुँचा तो सारी बसें जा चुकी थीं, सिर्फ आखिरी बस — बस नंबर 13 खड़ी थी। राहुल ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया और बस में चढ़ गया। बस में सिर्फ तीन लोग थे — एक बूढ़ी औरत, एक आदमी जो खिड़की से बाहर देख रहा था, और एक सफेद झक्क कपड़ों वाला कंडक्टर।

बस जैसे ही चली, राहुल को अजीब सी ठंड महसूस होने लगी। बाहर घना कोहरा था, लेकिन बस के अंदर का माहौल और भी डरावना था — खामोशी, अजीब सी हवा, और कहीं दूर से आती भयानक सी फुसफुसाहट।

अजीब घटनाएँ


कुछ देर बाद, राहुल ने देखा कि खिड़की से बाहर वही पेड़, वही मोड़ बार-बार आ रहे हैं, जैसे बस एक ही रास्ते पर घूम रही हो। उसने कंडक्टर से पूछा, "भाईसाहब, ये बस रास्ता क्यों नहीं बदल रही?"

कंडक्टर ने धीरे से उसकी ओर देखा — उसकी आँखें पूरी सफेद थीं, कोई पुतली नहीं थी।

"अब तुम उतर नहीं सकते," उसने ठंडी आवाज़ में कहा।

राहुल घबरा गया। उसने बस से कूदने की सोची, लेकिन दरवाज़ा बंद था। तभी बूढ़ी औरत ने धीरे से कहा, "तुम्हें नहीं आना चाहिए था इस बस में। ये बस सिर्फ मरे हुए लोगों के लिए चलती है।"

अंत

राहुल ने हिम्मत जुटाकर खिड़की तोड़ी और बाहर कूद गया। वह बेहोश हो गया।

सुबह जब गाँव वाले उसे झाड़ियों में बेहोश पाए, तो उसकी हालत खराब थी। जब उसने सबको बस की कहानी सुनाई, तो एक बूढ़ा आदमी बोला — "बस नंबर 13 तो 5 साल पहले खाई में गिर गई थी, और तब से वो बस कभी-कभी दिखाई देती है… बस भूतों से भरी होती है।"

राहुल उस दिन के बाद कभी रात में सफर नहीं करता था — और वो कस्बे वाले अब भी कहते हैं, जो भी उस बस में चढ़ता है, वो कभी-कभी वापस नहीं आता।


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