भूतिया मेडिकल स्टोर

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यह कहानी एक भूतिया मेडिकल स्टोर की है — कई साल पहले शहर के बीचों-बीच एक मेडिकल स्टोर खुला था। दिन में तो दुकान बिलकुल सामान्य लगती थी, लेकिन जैसे ही रात होती, वहाँ अजीब-अजीब घटनाएँ घटने लगतीं। लोगों का कहना था कि इस दुकान के मालिक की अचानक एक रात मौत हो गई थी। वो अकेले दुकान बंद कर रहा था, तभी उसका हार्ट अटैक से निधन हो गया। कहते हैं कि उसकी आत्मा आज भी वहीं भटकती है, क्योंकि दुकान उसके जीवन का सबसे बड़ा सपना थी। रात में राहगीरों ने कई बार देखा कि मेडिकल स्टोर की लाइट अपने आप जल उठती है। शटर आधा खुला दिखाई देता है और अंदर से दवाइयों की शीशियों के खड़कने की आवाजें आती हैं। कभी-कभी कैश काउंटर अपने आप खुल-बंद होता। एक रात एक युवक, जो देर रात घर लौट रहा था, उसने देखा कि दुकान का शटर थोड़ा खुला है और अंदर से किसी के "मदद करो..." जैसी धीमी आवाज आ रही है। डर के बावजूद उसने अंदर झाँका। उसने देखा कि दुकान के अंदर सफेद कोट पहने एक बूढ़ा आदमी दवाइयाँ सजाते हुए दिखाई दिया। लेकिन जब उसने ज़ोर से " कौन है?" कहा , तो वो आकृति अचानक हवा में विलीन हो गई। उसके...

भूतिया हवाई जहाज़ की कहानी

भूतिया हवाई जहाज़ की कहानी 



शीर्षक: "रनवे नंबर 13"

यह कहानी एक ऐसे हवाई जहाज़ की है जो कभी अपने गंतव्य तक नहीं पहुँचा... और तब से उसकी आत्मा आसमान में भटक रही है।

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घटना की शुरुआत:

साल था 1992। एक प्राइवेट एयरलाइन का विशेष फ्लाइट, Flight Z-13, दिल्ली से शिमला के लिए उड़ान भरने वाला था। मौसम साफ था, पायलट अनुभवी था, और विमान में कुल 35 यात्री सवार थे। लेकिन जैसे ही प्लेन ने उड़ान भरी, कंट्रोल टावर से उसका संपर्क टूट गया।

प्लेन कभी शिमला नहीं पहुँचा। बचाव दलों ने महीनों तक तलाश की, पर न तो प्लेन मिला, न ही यात्रियों का कोई सुराग।


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वर्षों बाद की रहस्यमयी घटना:

2022 में, उसी एयरपोर्ट के रनवे नंबर 13 पर एक अजीब घटना हुई। एक प्लेन अचानक रडार पर दिखा — वही Flight Z-13। कंट्रोल टावर हैरान रह गया क्योंकि उस फ्लाइट को गायब हुए 30 साल हो चुके थे।

प्लेन धीरे-धीरे उतरने लगा और बिना किसी आवाज के रनवे पर लैंड कर गया। जब सुरक्षा अधिकारी दौड़े, तो देखा गया कि जहाज़ अंदर से खाली था — न पायलट, न यात्री, बस धूल और सड़ चुकी सीटें।

लेकिन सबसे डरावनी बात यह थी — जहाज़ का इंजन गर्म था, जैसे वो अभी-अभी उड़कर आया हो। और कॉकपिट में रिकॉर्डर पर आखिरी आवाज़ थी:
"हम फँस गए हैं... समय में नहीं, आत्मा में..."
इसके बाद:

हर साल 14 जुलाई की रात (जिस दिन फ्लाइट गायब हुई थी), एयरपोर्ट पर वही प्लेन अचानक दिखता है, रनवे 13 पर उतरता है और फिर बिना किसी चेतावनी के गायब हो जाता है।

कई लोगों ने प्लेन की खिड़कियों से चेहरों को झाँकते देखा है — सफेद चेहरों वाले यात्री, जो अब कभी उतर नहीं सकते।


निष्कर्ष:

अब रनवे नंबर 13 को "शापित रनवे" कहा जाता है। वहाँ कोई फ्लाइट नहीं उतारता। और कहा जाता है कि जब भी कोई पायलट Flight Z-13 का कॉल साइन रेडियो पर सुनता है, उसे तुरंत ऊँचाई बढ़ा लेनी चाहिए... क्योंकि वो आवाज़ इंसानों की नहीं होती।

सीख:
कुछ रहस्य विज्ञान से परे होते हैं। समय बीत जाता है, पर कुछ आत्माएँ अपनी मंज़िल कभी नहीं पा पातीं।

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