भूतिया महल की कहानी
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भूतिया महल की कहानी
बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव के किनारे एक विशाल और पुराना महल खड़ा था। लोग उसे भूतिया महल कहते थे। कहते हैं कि उस महल में कोई आत्मा रहती है, जो रात को वहां आने वाले हर इंसान को डराकर भगा देती है।
महल का रहस्य
गाँव वालों की मानें तो वह महल कभी एक रानी का था – रानी वसुधा। रानी बहुत सुंदर, पर अत्यंत अकेली थीं। उनके पति युद्ध में मारे गए थे और उनके बच्चे कभी हुए ही नहीं। अकेलापन धीरे-धीरे उन्हें पागलपन की ओर ले गया। कहा जाता है कि उन्होंने महल में आत्महत्या कर ली, और उनकी आत्मा वहीं भटकती रही।
गाँव की चुनौती
गाँव में एक दिन एक साहसी युवक आया – नाम था अर्जुन। उसे भूत-प्रेतों की कहानियों पर यकीन नहीं था। जब उसने गाँव वालों को महल के बारे में सुना, तो उसने ठान लिया कि वह उस महल में रात बिताएगा और सबको गलत साबित करेगा।
गाँव वालों ने बहुत मना किया, पर अर्जुन नहीं माना। वह एक रात मशाल लेकर महल की ओर चल पड़ा।
महल के अंदर
जैसे ही वह महल के अंदर गया, वहां अजीब-सी ठंडी हवा चलने लगी। दीवारों पर लगी तस्वीरें जैसे उसे घूर रही थीं। अचानक एक दरवाजा खुद-ब-खुद खुला। अर्जुन ने हिम्मत करके अंदर कदम रखा।
वहां एक औरत सफेद साड़ी में खड़ी थी, उसकी आँखों से खून बह रहा था। वह बोली,
"तू यहाँ क्यों आया है? ये मेरा घर है…"
अर्जुन डर तो गया, पर उसने साहस दिखाया। बोला,
"अगर तुम रानी वसुधा हो, तो मैं तुम्हें शांति दिलाने आया हूँ।"
आत्मा की मुक्ति
रानी की आत्मा कुछ देर शांत रही, फिर धीरे-धीरे उसका चेहरा बदलने लगा। उसने कहा,
"कोई पहली बार मेरी पीड़ा समझा है…"
एक तेज़ प्रकाश चमका और रानी की आत्मा हवा में विलीन हो गई।
सुबह गाँव वाले जब महल पहुँचे तो अर्जुन ज़िंदा था – और महल अब शांत था। इसके बाद कभी किसी ने वहां कोई डरावनी चीज़ नहीं देखी।
शिक्षा
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हर डर के पीछे कोई कहानी होती है – और कभी-कभी, डर का सामना करना ही उसे खत्म करने का रास्ता होता है।
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