भूतिया मेडिकल स्टोर

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यह कहानी एक भूतिया मेडिकल स्टोर की है — कई साल पहले शहर के बीचों-बीच एक मेडिकल स्टोर खुला था। दिन में तो दुकान बिलकुल सामान्य लगती थी, लेकिन जैसे ही रात होती, वहाँ अजीब-अजीब घटनाएँ घटने लगतीं। लोगों का कहना था कि इस दुकान के मालिक की अचानक एक रात मौत हो गई थी। वो अकेले दुकान बंद कर रहा था, तभी उसका हार्ट अटैक से निधन हो गया। कहते हैं कि उसकी आत्मा आज भी वहीं भटकती है, क्योंकि दुकान उसके जीवन का सबसे बड़ा सपना थी। रात में राहगीरों ने कई बार देखा कि मेडिकल स्टोर की लाइट अपने आप जल उठती है। शटर आधा खुला दिखाई देता है और अंदर से दवाइयों की शीशियों के खड़कने की आवाजें आती हैं। कभी-कभी कैश काउंटर अपने आप खुल-बंद होता। एक रात एक युवक, जो देर रात घर लौट रहा था, उसने देखा कि दुकान का शटर थोड़ा खुला है और अंदर से किसी के "मदद करो..." जैसी धीमी आवाज आ रही है। डर के बावजूद उसने अंदर झाँका। उसने देखा कि दुकान के अंदर सफेद कोट पहने एक बूढ़ा आदमी दवाइयाँ सजाते हुए दिखाई दिया। लेकिन जब उसने ज़ोर से " कौन है?" कहा , तो वो आकृति अचानक हवा में विलीन हो गई। उसके...

भूतिया तालाब डरावनी कहानी


कहानी का नाम: भूतिया तालाब
श्रेणी: डरावनी कहानी (Horror Story)
स्थान: एक छोटे से गाँव का तालाब

बहुत समय पहले की बात है। उत्तर भारत के एक छोटे से गाँव रामपुर में एक तालाब था जिसे गाँव वाले भूतिया तालाब कहते थे। दिन के समय वह तालाब बिल्कुल सामान्य दिखता था—शांत पानी, चारों ओर हरियाली, पक्षियों की चहचहाहट। लेकिन जैसे ही सूरज डूबता, कोई भी उस तालाब के पास जाने की हिम्मत नहीं करता।

गाँव के बुज़ुर्गों का कहना था कि कई साल पहले वहाँ एक औरत ने आत्महत्या कर ली थी। उसका नाम चंदा था। उसे गाँव के ज़मींदार ने धोखा दिया था और बदनामी के डर से उसने उसी तालाब में कूदकर जान दे दी। तब से तालाब में उसकी आत्मा भटक रही थी।
लोगों का कहना था कि अगर कोई सूर्यास्त के बाद उस तालाब के पास जाता, तो चंदा की चीखें सुनाई देतीं, और कई बार तो लोगों ने सफेद साड़ी में एक औरत को तालाब के पानी पर चलते हुए भी देखा था।

एक दिन, गाँव में एक युवक राजू आया, जो शहर से पढ़ाई करके लौटा था। वह इन बातों पर यकीन नहीं करता था। उसने तय किया कि वह रात में तालाब पर जाएगा और सबको बताएगा कि ये सब अंधविश्वास है।
रात को ठीक 12 बजे राजू एक टॉर्च और कैमरा लेकर तालाब की ओर चला। पूरा गाँव सो रहा था। जैसे ही वह तालाब के पास पहुँचा, ठंडी हवा चलने लगी। तालाब का पानी खुद-ब-खुद लहराने लगा। तभी उसे एक औरत की कराह सुनाई दी—“मुझे इंसाफ चाहिए…”

राजू ने टॉर्च घुमाई, तो तालाब के किनारे एक सफेद साड़ी पहने औरत खड़ी थी। उसका चेहरा धुंधला था, लेकिन उसकी आँखों से खून टपक रहा था। राजू काँप उठा, लेकिन भागने की कोशिश की। तभी चंदा की आत्मा ने चिल्लाया—“कोई मुझे समझा नहीं, कोई मेरी सच्चाई नहीं जान पाया…”

सुबह तक राजू बेहोश पड़ा मिला। उसके हाथ में वही कैमरा था, लेकिन कैमरे में कोई तस्वीर नहीं थी। जब वह होश में आया, तो डर के मारे काँपता रहा। उसने गाँववालों से माफ़ी माँगी और माना कि तालाब सच में श्रापित है।

इसके बाद से कोई भी गाँववाला सूर्यास्त के बाद तालाब की तरफ नहीं गया। कहते हैं, जब तक चंदा को इंसाफ नहीं मिलेगा, वह आत्मा तालाब में भटकती रहेगी।


सीख:
कभी-कभी हमारे बुज़ुर्गों की बातें अंधविश्वास नहीं होतीं, बल्कि अनुभव का निचोड़ होती हैं। हर कहानी के पीछे कोई न कोई सच्चाई छिपी होती है।



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