भूतिया मेडिकल स्टोर

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यह कहानी एक भूतिया मेडिकल स्टोर की है — कई साल पहले शहर के बीचों-बीच एक मेडिकल स्टोर खुला था। दिन में तो दुकान बिलकुल सामान्य लगती थी, लेकिन जैसे ही रात होती, वहाँ अजीब-अजीब घटनाएँ घटने लगतीं। लोगों का कहना था कि इस दुकान के मालिक की अचानक एक रात मौत हो गई थी। वो अकेले दुकान बंद कर रहा था, तभी उसका हार्ट अटैक से निधन हो गया। कहते हैं कि उसकी आत्मा आज भी वहीं भटकती है, क्योंकि दुकान उसके जीवन का सबसे बड़ा सपना थी। रात में राहगीरों ने कई बार देखा कि मेडिकल स्टोर की लाइट अपने आप जल उठती है। शटर आधा खुला दिखाई देता है और अंदर से दवाइयों की शीशियों के खड़कने की आवाजें आती हैं। कभी-कभी कैश काउंटर अपने आप खुल-बंद होता। एक रात एक युवक, जो देर रात घर लौट रहा था, उसने देखा कि दुकान का शटर थोड़ा खुला है और अंदर से किसी के "मदद करो..." जैसी धीमी आवाज आ रही है। डर के बावजूद उसने अंदर झाँका। उसने देखा कि दुकान के अंदर सफेद कोट पहने एक बूढ़ा आदमी दवाइयाँ सजाते हुए दिखाई दिया। लेकिन जब उसने ज़ोर से " कौन है?" कहा , तो वो आकृति अचानक हवा में विलीन हो गई। उसके...

पहाड़, बारिश और एक अनकही बात

कहानी का नाम: "पहाड़, बारिश और एक अनकही बात"
स्थान: उत्तराखंड के एक छोटे से गाँव घनगांव की हरी-भरी घाटियाँ।

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प्रारंभ

बारिश की पहली फुहारें पहाड़ों से टकरा रही थीं। बादलों की गड़गड़ाहट और हवा में घुलती मिट्टी की खुशबू ने पूरा वातावरण जादुई बना दिया था। चारों तरफ़ धुंध थी, और घने पेड़ों से टपकती बूंदें एक अलग ही संगीत रच रही थीं।

"आरव", जो शहर से छुट्टियाँ बिताने अपने ननिहाल आया था, इन पलों को मोबाइल कैमरे में कैद कर रहा था। लेकिन यह बारिश सिर्फ मौसम का हिस्सा नहीं थी—यह कुछ और भी लाने वाली थी।

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एक पुरानी झोपड़ी

आरव को गाँव के पीछे की पहाड़ी पर एक पुरानी, टूटी-फूटी झोपड़ी दिखी। दादी ने कहा था कि वहाँ कोई नहीं जाता, खासकर बारिश में नहीं।

लेकिन उत्सुकता से भरा आरव अगले दिन बारिश में ही वहाँ चला गया। रास्ता फिसलन भरा था, लेकिन झोपड़ी तक पहुँच ही गया।

जैसे ही उसने दरवाज़ा खोला, वहाँ एक पुरानी डायरी पड़ी थी। उसने उसे उठाया और पढ़ना शुरू किया।


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डायरी के पन्नों में

डायरी किसी लड़की की थी—"मीरा", जो उसी गाँव में रहती थी 30 साल पहले। उसकी लिखाई में एक अधूरी प्रेम कहानी थी, और आख़िरी पन्नों में लिखा था:

> “मैं रोज़ इस बारिश में तुम्हारा इंतज़ार करती हूँ… अगर कभी कोई मेरी ये डायरी पढ़े, तो उसे कहना मैं यहीं हूँ, इस झोपड़ी में, बारिश के हर कतरे के साथ।”


आरव का दिल कांप गया। अचानक तेज़ हवा से दरवाज़ा बंद हो गया। झोपड़ी के अंदर एक ठंडा साया जैसे उसके पास से गुज़रा। वह डर के मारे नीचे बैठ गया, लेकिन तभी बाहर से एक महिला की धीमी आवाज़ आई— “ध्यान रखना... वो हर बरसात में लौटती है...”

अंत

जब आरव नीचे गाँव लौटा, उसने वो डायरी दादी को दिखाई। दादी की आँखें भर आईं।

“मीरा मेरी बचपन की दोस्त थी,” दादी बोलीं।
“उसका प्रेमी शहर गया और फिर कभी नहीं लौटा। वो बरसात के हर दिन उसकी राह देखती रही... और एक दिन उसी झोपड़ी में हमेशा के लिए सो गई।”

अब आरव को बरसात का मतलब सिर्फ मौसम नहीं लगता—अब वो हर बूंद में मीरा की अधूरी प्रेम कहानी महसूस करता है।

सीख:

प्रकृति सिर्फ सुंदरता नहीं है, उसमें भावनाएँ, कहानियाँ और कभी-कभी अधूरी आत्माएँ भी छिपी होती हैं।




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