रहस्यमय भूतिया कैलेंडर
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भूतिया कैलेंडर की डरावनी कहानी 🕯️📅
एक छोटा सा पहाड़ी गांव था—नाम था "घनेरा"। वहां की आबादी कम थी, लेकिन लोग एक-दूसरे के बहुत करीब थे। गांव में एक पुराना स्कूल था जो अब बंद पड़ा था। उसी स्कूल की अलमारी में एक दिन एक बच्चा खेलते हुए एक पुराना कैलेंडर लेकर आया। उस कैलेंडर पर साल लिखा था—1952।
कैलेंडर अजीब था—हर पन्ना काले रंग का था, तारीखें खून जैसी लाल स्याही से लिखी हुई थीं। बच्चे ने मज़ाक में वह कैलेंडर घर ले लिया।
पहली रात
जैसे ही वह कैलेंडर घर में आया, घर में अजीब-अजीब घटनाएं होने लगीं। चीजें अपने आप गिरने लगीं, दरवाजे खुद-ब-खुद खुलने लगे, और बच्चे को सपनों में एक बूढ़ा आदमी दिखने लगा जो कहता—"मेरी तारीख मत पलटो..."
दूसरी रात
बच्चे के परिवार ने सोचा कि यह सब उसका वहम है। लेकिन अगले दिन जब बच्चे ने कैलेंडर की अगली तारीख पलटी, तो उसी दिन गांव के एक बूढ़े आदमी की रहस्यमयी मौत हो गई। गांव में डर फैल गया।
तीसरी रात
अब हर कोई उस कैलेंडर से डरने लगा। लेकिन बच्चा जिद्दी था। उसने फिर एक तारीख पलटी… और इस बार उसकी मां अचानक बीमार हो गई, और कुछ ही घंटों में मर गई। पूरे गांव ने माना कि यह कोई शापित कैलेंडर है।
रहस्य का खुलासा
एक बूढ़े पुजारी ने बताया कि यह कैलेंडर एक आत्मा द्वारा शापित है। 1952 में, उसी स्कूल में एक मास्टर की रहस्यमयी मौत हो गई थी। उसने अपनी आत्मा उस कैलेंडर में कैद कर दी थी और कहा था—"जिस दिन मेरी तारीखें पलटेंगी, मैं किसी की ज़िंदगी पलट दूंगा..."
अंत
गांववालों ने मिलकर उस कैलेंडर को गांव के पुराने कुएं में फेंक दिया। लेकिन कहते हैं... जिस किसी को वह कैलेंडर फिर से मिले, उसकी भी कहानी अधूरी नहीं रहती।
चेतावनी: अगर आपको कभी पुराना, काला कैलेंडर मिले... तो उसे पलटना मत। हो सकता है कोई तारीख आपकी ज़िंदगी को आखिरी मोड़ दे दे।
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