भूतिया मेडिकल स्टोर

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यह कहानी एक भूतिया मेडिकल स्टोर की है — कई साल पहले शहर के बीचों-बीच एक मेडिकल स्टोर खुला था। दिन में तो दुकान बिलकुल सामान्य लगती थी, लेकिन जैसे ही रात होती, वहाँ अजीब-अजीब घटनाएँ घटने लगतीं। लोगों का कहना था कि इस दुकान के मालिक की अचानक एक रात मौत हो गई थी। वो अकेले दुकान बंद कर रहा था, तभी उसका हार्ट अटैक से निधन हो गया। कहते हैं कि उसकी आत्मा आज भी वहीं भटकती है, क्योंकि दुकान उसके जीवन का सबसे बड़ा सपना थी। रात में राहगीरों ने कई बार देखा कि मेडिकल स्टोर की लाइट अपने आप जल उठती है। शटर आधा खुला दिखाई देता है और अंदर से दवाइयों की शीशियों के खड़कने की आवाजें आती हैं। कभी-कभी कैश काउंटर अपने आप खुल-बंद होता। एक रात एक युवक, जो देर रात घर लौट रहा था, उसने देखा कि दुकान का शटर थोड़ा खुला है और अंदर से किसी के "मदद करो..." जैसी धीमी आवाज आ रही है। डर के बावजूद उसने अंदर झाँका। उसने देखा कि दुकान के अंदर सफेद कोट पहने एक बूढ़ा आदमी दवाइयाँ सजाते हुए दिखाई दिया। लेकिन जब उसने ज़ोर से " कौन है?" कहा , तो वो आकृति अचानक हवा में विलीन हो गई। उसके...

केदारनाथ यात्रा का रहस्य

अमरनाथ यात्रा की शुरुआत (Story of Amarnath Yatra 
अमरनाथ गुफा और वहां की यात्रा की शुरुआत से जुड़ी एक प्राचीन और लोकप्रिय पौराणिक कथा है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने मां पार्वती को अमरत्व का रहस्य (अमर कथा) इसी गुफा में सुनाया था।

📜 कथा इस प्रकार है:

मां पार्वती ने एक बार भगवान शिव से पूछा –
"हे नाथ! आप सदा अमर क्यों हैं? आपका नाश क्यों नहीं होता?"

शिव जी ने मुस्कुराकर कहा
"यह एक बहुत ही रहस्यमयी बात है, जिसे जानना सभी के लिए संभव नहीं।"

लेकिन मां पार्वती के बार-बार आग्रह करने पर भगवान शिव ने निर्णय लिया कि वह इस अमर कथा को एकांत स्थान में सुनाएँगे, जहाँ कोई अन्य प्राणी ना हो।

इसके लिए भगवान शिव ने:

1. नंदी बैल को छोड़ा।


2. गले से नागों को हटाया।


3. चंद्रमा को मस्तक से हटाया।


4. गणेश जी को कैलाश पर छोड़ दिया।


5. पांचों तत्वों (पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि, आकाश) से बनी वस्तुएं छोड़ दीं।



फिर वे मां पार्वती को लेकर कश्मीर की हिमालय पर्वतमाला में स्थित एक गुफा (अमरनाथ गुफा) में पहुंचे।

🕉 गुफा में कथा का वर्णन:

भगवान शिव ने मां पार्वती को अमर कथा सुनानी शुरू की। ताकि कोई और न सुने, उन्होंने गुफा के बाहर कालाग्नि रुद्र को तैनात कर दिया था।

लेकिन एक कहानी के अनुसार, एक संदूक (डोमेस्टिक कबूतर का जोड़ा) गुफा में छिपा हुआ था और उन्होंने भी यह कथा सुन ली।
कहते हैं कि वे कबूतर आज भी अमरनाथ गुफा के पास अमर रूप में जीवित हैं।

🌄 अमरनाथ यात्रा की शुरुआत कब हुई?

ऐतिहासिक दृष्टि से, 11वीं शताब्दी के आसपास अमरनाथ गुफा का वर्णन राजतरंगिणी (कल्हण द्वारा रचित एक ऐतिहासिक ग्रंथ) में मिलता है।
कहा जाता है कि एक गड़ेरिये (मलिक नामक मुस्लिम चरवाहा) ने सबसे पहले इस गुफा की खोज की थी जब उसे एक बर्फ का शिवलिंग दिखाई दिया।

इसके बाद से वहां हर साल तीर्थयात्रा शुरू हुई, जो आज तक जारी है।

🚩 आज की अमरनाथ यात्रा

आज यह यात्रा जुलाई-अगस्त (श्रावण मास) में होती है।
हज़ारों-लाखों श्रद्धालु कठिन पर्वतीय रास्तों से होकर श्रीनगर या पहलगाम से अमरनाथ गुफा तक जाते हैं।
गुफा के अंदर स्वाभाविक रूप से बना बर्फ का शिवलिंग दिखाई देता है, जिसे "बाबा बर्फानी" कहा जाता है


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